shiv chalisa lyrics pdf - An Overview
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लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥
अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
देवनः यदा यदा गच्छति स्म तदा तदा आहूतवान्।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्द पात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम् ।
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि here आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
वैसे तो आप शिव चालीसा को किसी भी दिन बोल सकते हैं, लेकिन रविवार, सोमवार तथा बुधवार को भगवान शंकर जी की चालीसा करने का बड़ा महत्व बताया गया.
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥